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नियमों से बचने के लिए इंडिगो ने पैदा कियाऑपरेशनल क्राइसिस, चार फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टर बर्खास्त,₹58.75 करोड़ का जीएसटी जुर्माना नोटिस

डीजीसीए (DGCA) की बड़ी कार्रवाई: इंडिगो की निगरानी कर रहे चार फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टरों को बर्खास्त किया गया।

जीएसटी (GST) और रिफंड का मामला: इंडिगो को ₹58.75 करोड़ का जीएसटी जुर्माना नोटिस मिला; वहीं ₹900 करोड़ से अधिक के रिफंड की मांग को लेकर कंपनी दिल्ली हाई कोर्ट पहुंची है।

उड़ानों में कटौती और परिचालन: नागर विमानन मंत्रालय (MoCA) द्वारा दिए गए निर्देश के तहत इंडिगो की 10% उड़ानों में कटौती का फैसला लिया गया है, हालांकि कंपनी ने नेटवर्क बहाल करने का दावा किया है।


दिसंबर के पहले सप्ताह में इंडिगो (IndiGo) एयरलाइन में हुए परिचालन संकट (Operational Crisis) के बाद सरकार और नियामक डीजीसीए (DGCA) लगातार सख्त कार्रवाई कर रहे हैं। इस संकट के कारण हजारों उड़ानें रद्द हुईं और लाखों यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ा।

 महानिदेशालय नागर विमानन (DGCA) ने हाल ही में हुए व्यापक उड़ान व्यवधानों की प्रारंभिक जांच के बाद बड़ी कार्रवाई की है। डीजीसीए ने इंडिगो की उड़ानों की सुरक्षा और संचालन की जांच से जुड़े अपने चार फ्लाइट ऑपरेशन इंस्पेक्टरों (FOI) को बर्खास्त कर दिया है। ये इंस्पेक्टर इंडिगो की निगरानी के लिए जिम्मेदार थे, और डीजीसीए का मानना है कि जांच और निगरानी में लापरवाही हुई है।

परिचालन संकट के बीच इंडिगो की मुश्किलें और बढ़ गई हैं। इसे वित्त वर्ष 2020-21 के लिए केंद्रीय वस्तु एवं सेवा कर (CGST) विभाग की ओर से ₹58.75 करोड़ का जुर्माना नोटिस मिला है। हालांकि, इंडिगो ने इस नोटिस को त्रुटिपूर्ण बताते हुए कानूनी रूप से चुनौती देने की बात कही है। दूसरी ओर, इंडिगो ने विदेशों में मरम्मत के बाद भारत में दोबारा आयात किए गए एयरक्राफ्ट इंजन और पार्ट्स पर कस्टम ड्यूटी के तौर पर चुकाए गए ₹900 करोड़ से अधिक के रिफंड की मांग को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया है। एक न्यायाधीश ने निजी कारण (बेटे के इंडिगो में पायलट होने) से सुनवाई से खुद को अलग कर लिया है।

नागर विमानन मंत्रालय (MoCA) ने इंडिगो के सीईओ को तलब करने के बाद एयरलाइन को विंटर 2025 शेड्यूल की अपनी 10% उड़ानों में कटौती करने का आदेश दिया है। डीजीसीए ने भी इस संकट की जांच के लिए चार सदस्यों की एक जांच समिति बनाई है और फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को फरवरी 2026 तक रोक दिया है। हालांकि, इंडिगो ने दावा किया है कि परिचालन संकट अब खत्म हो गया है और उसका पूरा नेटवर्क बहाल हो चुका है। कंपनी ने अब तक ₹800 करोड़ से अधिक का रिफंड जारी करने और फंसे हुए बैगेज को लौटाने का भी दावा किया है।

नियमों से बचने के लिए इंडिगो ने ऑपरेशनल क्राइसिस पैदा किया, चेयरमैन ने किया खंडन


दिसंबर 2025 की शुरुआत में इंडिगो की सैकड़ों उड़ानों के अचानक रद्द होने और देरी के बाद यह सवाल उठा कि क्या यह एक ऑपरेशनल नाकामी थी या जानबूझकर किया गया प्लान?

 नागरिक उड्डयन मंत्री के राम मोहन नायडू ने एक इंटरव्यू में साफ संकेत दिया है कि इंडिगो ने 5,000 के करीब उड़ानें जानबूझकर रद्द की होंगी। मंत्री ने यह भी कहा कि ज़रूरत पड़ने पर इंडिगो के सीईओ पीटर एल्बर्स को हटाया भी जा सकता है। मंत्री ने कहा, “इंडिगो की परिचालन क्षमता और नियंत्रण को देखते हुए, यह इतने बड़े स्तर पर फ्लाइट्स का कैंसिल होना सामान्य घटना नहीं है। कुछ न कुछ जानबूझकर किया गया लगता है।”

पायलट नियमों में छूट के लिए लॉबिंग: डीजीसीए (DGCA) की एक जांच समिति अब इस गंभीर आरोप की भी जाँच कर रही है कि क्या इंडिगो ने पायलटों और क्रू को ड्यूटी सौंपना जानबूझकर बंद कर दिया था ताकि नए फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिटेशन (FDTL) नियमों को लागू होने से रोका जा सके या उसमें छूट मिल सके। इन नियमों में पायलटों के अनिवार्य साप्ताहिक आराम को 36 से 48 घंटे तक बढ़ाना शामिल है।

इंडिगो का स्पष्टीकरण और माफी: इंडिगो के चेयरमैन विक्रम सिंह मेहता ने इन सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने सार्वजनिक रूप से एक विस्तृत संदेश जारी कर यात्रियों को हुई असुविधा के लिए माफी मांगी। उन्होंने कहा कि 3 दिसंबर से शुरू हुई अचानक रद्दीकरण की श्रृंखला ने कंपनी के पूरे नेटवर्क को अस्त-व्यस्त कर दिया था, लेकिन उन्होंने पायलट नियमों से बचने के आरोपों को झूठा बताया। मेहता ने दावा किया कि कंपनी ने पायलट नियमों का पूरी तरह पालन किया है और परिचालन संकट अब खत्म हो गया है।

 इन आरोपों और संकट के बाद सरकार ने सख्त कार्रवाई की है। इंडिगो को विंटर शेड्यूल की अपनी 10% उड़ानों में कटौती करने का आदेश दिया गया है ताकि परिचालन स्थिर हो सके। डीजीसीए ने भी अपनी जाँच जारी रखी है और चार ऑपरेशन इंस्पेक्टरों को बर्खास्त कर दिया है।